



झारखंड का धनबाद जिला अपनी कोयला खदानों और औद्योगिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है, लेकिन इन दिनों यह जाम की समस्या से त्रस्त है। गोविंदपुर और निरसा के इलाके विशेष रूप से दुरूह बन चुके हैं। सुबह से देर शाम तक लगने वाले जाम ने स्थानीय निवासियों और राहगीरों की परेशानियों को कई गुना बढ़ा दिया है। सड़कें चौड़ी हैं, लेकिन अव्यवस्था और प्रशासन की अनदेखी ने हालात बिगाड़ दिए हैं।
गोविंदपुर: 8 दिन से जाम का अड्डा
गोविंदपुर में एनएच-2 पर जाम का आलम यह है कि वाहन चालकों को एक-दो किलोमीटर का सफर तय करने में घंटों लग रहे हैं। मुख्य चौक (ऊपर चौक, गिरिडीह-बलियापुर मोड़ और साहेबगंज मोड़) पर अव्यवस्थित ट्रैफिक और डिवाइडर हटाए जाने के फैसले ने समस्या को और गंभीर बना दिया है।
डिवाइडर हटाने का दुष्प्रभाव
बलियापुर-निरसा मोड़ (सुभाष चौक) पर स्थानीय दबाव के चलते डिवाइडर हटा दिया गया। इसके कारण चारों दिशाओं से आने वाले वाहनों की भिड़ंत ने यातायात व्यवस्था को चरमरा दिया। प्रशासन ने पहले इस फैसले का विरोध किया था, लेकिन स्थानीय दबाव में इसे हटाना पड़ा। इसके बावजूद, वहां ट्रैफिक पुलिस की समुचित तैनाती नहीं की गई।
जिम्मेदारों की चुप्पी और वाहन चालकों की मनमानी
एनएचएआई (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी ने स्थिति को और बदतर बना दिया है। वाहन चालकों की रफ और रॉन्ग साइड ड्राइविंग ने ट्रैफिक को अव्यवस्थित कर दिया है।
कहीं पुलिस नहीं, कहीं स्थानीय युवक के भरोसे ट्रैफिक
ऊपर चौक से गिरिडीह-बलियापुर मोड़ और साहेबगंज मोड़ तक की यात्रा में पुलिस की तैनाती न के बराबर है। कई जगह स्थानीय लोग और युवक ट्रैफिक संभालने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं। गिरिडीह-बलियापुर मोड़ पर केवल एक सिपाही की तैनाती है, जबकि वहां से गुजरने वाले वाहनों की संख्या हजारों में है।
सुभाष चौक पर तनाव
डिवाइडर हटाने के फैसले के बाद सुभाष चौक पर स्थानीय लोग और प्रशासन आमने-सामने हैं। ट्रैफिक डीएसपी अरविंद कुमार सिंह का कहना है, “सुभाष चौक के अवैध कट को बंद करना होगा, तभी जाम से निजात मिल सकेगी। एनएच और प्रबुद्ध लोगों के साथ बैठक कर इसका समाधान निकाला जाएगा।”
निरसा: जाम और अराजकता का गढ़
निरसा में तीन कट हैं, जहां कोई ट्रैफिक लाइट या पुलिस तैनाती नहीं है। सर्विस लेन पर दुकानदारों का कब्जा और सड़क किनारे वाहनों की पार्किंग से सड़कें संकरी हो जाती हैं। यहां एक व्यक्ति स्वेच्छा से ट्रैफिक संभालने की कोशिश करता है, लेकिन हाल ही में पुलिस द्वारा की गई उसकी पिटाई ने उसे हतोत्साहित कर दिया।
व्यवस्थित व्यवस्था का अभाव
प्रशासन की निष्क्रियता का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। निरसा में कट और सड़क व्यवस्था के अभाव में लोगों को घंटों जाम में फंसना पड़ता है।
दिल्ली-कोलकाता मुख्य पथ पर भी असर
जाम के कारण दिल्ली-कोलकाता मुख्य पथ पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस व्यस्त मार्ग पर गाड़ियों की धीमी रफ्तार ने न केवल यात्रियों को परेशान किया है, बल्कि व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों पर भी असर डाला है।
जाम में फंसी दो एंबुलेंस
गुरुवार को धनबाद से दुर्गापुर जा रही दो एंबुलेंस गोविंदपुर मोड़ पर जाम में फंस गईं। मरीजों को ले जा रहे एंबुलेंस चालकों ने मदद की गुहार लगाई। स्थानीय लोगों की कोशिशों के बाद एंबुलेंस को किसी तरह से बाहर निकाला जा सका।
स्थानीय प्रशासन का रुख
इस समस्या पर डीएसपी वन शंकर कामती ने कहा, “सुभाष चौक के पास अवैध कट को बंद करना होगा। ट्रैफिक डीएसपी के साथ निरीक्षण कर आगे का निर्णय लिया जाएगा।” वहीं, ट्रैफिक डीएसपी अरविंद कुमार सिंह ने कहा, “गोविंदपुर में जाम से निजात के लिए एक एएसआई और दो सिपाही की तैनाती की गई है। जल्द ही समस्या का समाधान निकाला जाएगा।”
क्या चाहिए समाधान?
- डिवाइडर को फिर से स्थापित किया जाए।
- प्रत्येक कट पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती हो।
- ट्रैफिक लाइट्स लगाई जाएं।
- रॉन्ग साइड ड्राइविंग पर सख्ती हो।
- सर्विस लेन से अतिक्रमण हटाया जाए।
गोविंदपुर और निरसा में ट्रैफिक की समस्या केवल प्रशासनिक उदासीनता और जनता की लापरवाही का परिणाम नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक योजना की कमी को भी दर्शाता है। धनबाद जैसे औद्योगिक जिले में यातायात की समस्या का समाधान समय की मांग है। अगर प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर ठोस कदम उठाएं, तो इस समस्या से राहत मिल सकती है।
