



32 दिन 1300 किलोमीटर पैदल चलकर न्याय की फरियाद लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन पहुंचा दसवीं की छात्रा उषा कुमारी का चचेरा भाई। वहां उसे सकारात्मक आश्वासन मिलने से पीड़ित परिवार को उम्मीद जगी है।
न्याय के नाम पर मिलता रहा आश्वासन
बता दें 10 जुलाई को तेतुलमारी स्थित धनबाद सेंट जेवियर स्कूल में पढ़ने वाली दसवीं की छात्रा उषा कुमारी को एक शिक्षिका ने अपमानित कर थप्पड़ जड़ दिया था।
शिकायत करने पर प्राचार्य ने अनसुना कर दिया था, जिससे आहत होकर छात्रा ने खुदकुशी कर ली थी। स्वजन व बाउरी समाज के लोगों ने कई जनप्रतिनिधियों के अलावा धनबाद उपायुक्त से मिलकर न्याय की फरियाद की थी, लेकिन उन्हें बस आश्वासन ही मिला।
32 दिन पैदल चलकर राष्ट्रपति भवन पहुंचा भाई
नतीजा नही आते देख उषा के चचेरे भाई रघुनंदन बाउरी 13 सितंबर को तेतुलमारी के शक्ति चौक से पैदल निकला। 14 अक्टूबर को वह दिल्ली पहुंचा और राष्ट्रपति के कार्यालय में आवेदन जमा किया।
इस संबंध में रघुनंदन बाउरी ने बताया कि 32 दिन पैदल चलकर 14 अक्टूबर को वह दिल्ली में राष्ट्रपति भवन कार्यालय पहुंच गये। वहां पत्र सौपने के बाद ऑनलाइन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से वार्ता हुई।
उन्होंने झारखंड राज्य के कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग रांची के अधिकारी मो. आसिफ हसन को इस मामले में जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
छात्रा से बर्दाश्त नहीं हुआ था अपमान
रघुनंदन ने आगे कहा, इस दौरान दिल्ली में यूपीएससी के शिक्षक मधुसूदन कोतवाल से मुलाकात हुई। उन्होंने मुझे सहयोग राशि उपलब्ध कराया।
मालूम हो कि 10 जुलाई को तेतुलमारी की रहने वाली दसवीं कक्षा की छात्रा उषा कुमारी स्कूल गई थी, वहां प्रचार्य आर के सिंह व शिक्षिका सिंधु झा ने उसका अपमान कर थप्पड़ जड़ दिया था, जिससे आहत होकर उक्त छात्रा (उषा कुमारी) ने अपने घर आकर फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी।
शव को स्कूल के सामने रख किया गया था आंदोलन
11 जुलाई को उसके स्वजन व अखिल भारतीय बाउरी समाज के पदाधिकारीयों ने उक्त स्कूल और प्राचार्य व शिक्षिका के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर उसके शव को स्कूल के समक्ष रख आंदोलन किया था। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर दोनों आरोपियों तो को पड़कर जेल भेज दिया था, लेकिन आंदोलन जारी रहा।
अब तक नहीं निकला कोई ठोस नतीजा
14 जुलाई को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो जांच के लिए छात्रा के आवास पहुंचे, जहां स्वजनों से मिलकर घटना की जानकारी ली।
उसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी को विद्यालय के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन मामला ठंडा पड़ गया। इस संबंध में समाज के पदाधिकारियों ने कई बार बैठक की तथा धनबाद में भी आंदोलन किया गया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
