आस्था का महापर्व छठ पूजा, सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के मधेश क्षेत्र में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है।
परिवार का पुनर्मिलन
छठ का त्योहार परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है। दूर-दूर रहने वाले लोग भी इस पर्व को मनाने के लिए अपने घर आते हैं। इस पर्व में ढलते हुए सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
आज डूबते सूर्य को अर्घ्य
आज, छठ पूजा का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। आज शाम, व्रती महिलाएं नदी या तालाब के किनारे बने छठ घाट पर एकत्रित होकर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देंगी। इस दौरान वे ठेकुआ, गन्ना और अन्य प्रसाद सामग्री से भगवान सूर्य को नैवेद्य अर्पित करेंगी और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।
आज सूर्यास्त का समय
आज, 07 नवंबर 2024 को सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 31 मिनट पर है। इसी समय व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देंगी।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। मान्यता है कि छठ पूजा करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी यह व्रत किया जाता है। वहीं, जिन महिलाओं की कोई संतान नहीं होती, वे भी छठी मैया की कृपा पाने के लिए यह व्रत करती हैं।
डाला का महत्व
छठ पूजा में डाला का विशेष महत्व होता है। डाला एक बांस का डलिया होता है जिसमें पूजा की सभी सामग्री रखी जाती है। व्रती महिलाएं इसे अपने सिर पर रखकर घाट तक ले जाती हैं।
विशेष बातें:
नहाय-खाय: छठ पूजा चार दिनों का त्योहार होता है। पहला दिन नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है।
खरना: दूसरे दिन खरना मनाया जाता है, जिसमें व्रती महिलाएं विशेष प्रकार का खीर बनाती हैं।
संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
उषा अर्घ्य: चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।